Monday, April 20, 2015

मुहब्बत के शहर की तलाश है |

मुहब्बत से देखे हमें उस नज़र की तलाशहै |
बीत जाए ज़िन्दगी बस हमसफ़र की तलाश है ||

हैं मकां तो लाखों-हजारों जहाँ में ,मगर हमें,
हो रिश्तों की बुनियाद पे एक घर की तलाश है |

बस जिंदा हैं जिस्म ,अरसा हुआ रूह को मरे हुए
ले जाए जो हमको खुदा तक ,उसी सफ़र की तलाश है |

खो गए  हैं जो गीत मिलते नहीं अब कही हमें ,
पेड़ पर पंछी फिर गाएं,उस सहर की तलाश है |

कौन जाने आई कहाँ से ,बसे है कहाँ ,तभी,
हर किसी को इस मुहब्बत के शहर की तलाश है |

आस्तां  पे  बैठे  क्यों  है  भला  इन्तज़ार  में ,
जब पता है ,उनको किसी और दर की तलाश है |

बहुत जागे हैं रात -दिन मुहब्बत में "नज़ील" हम ,
अब  हमें  सोने  के  लिए  इक  कब्र  की तलाश है

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